आकर्षण-मन्त्र:-
सर्व-जन-आकर्षण-मन्त्र
१॰ “ॐ नमो आदि-रुपाय अमुकस्य आकर्षणं कुरु कुरु स्वाहा।”
विधि- १ लाख जप से उक्त मन्त्र सिद्ध होता है। ‘अमुकस्य’ के स्थान पर साध्य या साध्या का नाम जोड़े। “आकर्षण’” का अर्थ विशाल दृष्टि से लिया जाना चाहिए। सूझ-बूझ से उक्त मन्त्र का उपयोग करना चाहिए। मान्त्र-सिद्धि के बाद प्रयोग करना चाहिए। प्रयोग के समय अनामिका उँगली के रक्त से भोज-पत्र के ऊपर पूरा मन्त्र लिखना चाहिए। जिसका आकर्षण करना हो, उस व्यक्ति का नाम मन्त्र में जोड़ कर लिखें। फिर उस भोज-पत्र को शहद में डाले। बाद में भी मन्त्र का जप करते रहना चाहिए। कुछ ही दिनों में साध्य वशीभूत होगा।
२॰ “ॐ हुँ ॐ हुँ ह्रीं।”
३॰ “ॐ ह्रों ह्रीं ह्रां नमः।”
४॰ “ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं इँ नमः।”
विधि- उक्त मन्त्र में से किसी भी एक मन्त्र का जप करें। प्रतिदिन १० हजार जप करने से १५ दिनों में साधक की आकर्षण-शक्ति बढ़ जाती है। ‘जप’ के साध्य का ध्यान करना चाहिए।
सर्व-जन-आकर्षण-मन्त्र
१॰ “ॐ नमो आदि-रुपाय अमुकस्य आकर्षणं कुरु कुरु स्वाहा।”
विधि- १ लाख जप से उक्त मन्त्र सिद्ध होता है। ‘अमुकस्य’ के स्थान पर साध्य या साध्या का नाम जोड़े। “आकर्षण’” का अर्थ विशाल दृष्टि से लिया जाना चाहिए। सूझ-बूझ से उक्त मन्त्र का उपयोग करना चाहिए। मान्त्र-सिद्धि के बाद प्रयोग करना चाहिए। प्रयोग के समय अनामिका उँगली के रक्त से भोज-पत्र के ऊपर पूरा मन्त्र लिखना चाहिए। जिसका आकर्षण करना हो, उस व्यक्ति का नाम मन्त्र में जोड़ कर लिखें। फिर उस भोज-पत्र को शहद में डाले। बाद में भी मन्त्र का जप करते रहना चाहिए। कुछ ही दिनों में साध्य वशीभूत होगा।
२॰ “ॐ हुँ ॐ हुँ ह्रीं।”
३॰ “ॐ ह्रों ह्रीं ह्रां नमः।”
४॰ “ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं इँ नमः।”
विधि- उक्त मन्त्र में से किसी भी एक मन्त्र का जप करें। प्रतिदिन १० हजार जप करने से १५ दिनों में साधक की आकर्षण-शक्ति बढ़ जाती है। ‘जप’ के साध्य का ध्यान करना चाहिए।
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