रोग से मुक्ति हेतु:-
“ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः
त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनात् मृत्योर्मुक्षिय मामृतात्
स्वः भूर्भुवः सः जूं ॐ हौं ॐ।।”
विधि- शुक्ल पक्ष में सोमवार को रात्रि में सवा नौ बजे के पश्चात् शिवालय में भगवान् शिव का सवा पाव दूध से दुग्धाभिषेक करें। तदुपरान्त उक्त मन्त्र की एक माला जप करें। इसके बाद प्रत्येक सोमवार को उक्त प्रक्रिया दोहरायें तथा दो मुखी रुद्राक्ष को काले धागे में पिरोकर गले में धारण करने से शीघ्र फल प्राप्त होगा।
“ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः
त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनात् मृत्योर्मुक्षिय मामृतात्
स्वः भूर्भुवः सः जूं ॐ हौं ॐ।।”
विधि- शुक्ल पक्ष में सोमवार को रात्रि में सवा नौ बजे के पश्चात् शिवालय में भगवान् शिव का सवा पाव दूध से दुग्धाभिषेक करें। तदुपरान्त उक्त मन्त्र की एक माला जप करें। इसके बाद प्रत्येक सोमवार को उक्त प्रक्रिया दोहरायें तथा दो मुखी रुद्राक्ष को काले धागे में पिरोकर गले में धारण करने से शीघ्र फल प्राप्त होगा।
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